परिवार (एक अनकही कथा)
एक लड़का था श्याम मध्यम वर्गि जिसका पालन पोषण उसके दादाजी और दादीजी ने किया। बंदापानी नामक एक छोटे से ग्राम में लड़का अपने पूरे परिवार के साथ रहता था।लड़का पड़ाई से ज्यादा खेल -कुद का शौक़ीन था। लेकिन अपने चाचा सुशील कुमार के डर से वह उनके साथ पड़ता था। बचपन की शिक्षा श्याम ने एक सरकारी विद्यालय से प्रारंभ की। और कक्षा चार तक पड़ा। फिर वह लड़का निजी विद्यालय मे दाखीला लेता है उस विद्यालय का नाम आदर्श विद्यालय था कक्षा पांच मे पढाई मे रुची न होने के कारण लड़का उतीर्ण नहीं हो पाता है लेकिन अगले वर्ष प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण होता है। यही से उसके पढ़ाई की कोशिश शुरु होती हैं लेकिन बचपन से ही अपने माता -पिता के बीच झगड़े देखता हुआ श्याम बड़ रहा होता है एक तरफ माता पिता का झगड़ा दुसरी ओर दादा दादी और चाचा सुशील का प्यार उसको संभाल हुआ था वह धीरे -धीरे अपने चाचा का गुरुर बन चुका होता था। जहा भी जाता अपने चाचा के मुंह अपनी तारिफ सुनकर अंदर ही अंदर खुश होता। एक दिन श्याम की विद्यालय तक जाने वाली सवारी छुट जाती हैं तब श्याम के दादाजी श्रीमान राधे श्याम जी उसको छातरी से मारते है और बाजार चले जाते है श्याम रो -रो कर चेहरा सुजा लेता है। दुसरी ओर उसके दादाजी उसको मारने के पश्चात खुद अपने भाई के घर जाकर रोने लगता है ऐसा दादा और पोते का प्यार था जो एक को तकलिफ देकर दोनो को दर्द होता ।धीरे -धीरे श्याम बड़ा होने लगा उस लड़के को अपने दादा दादी से वह सब प्यार मिला जो वह अपने माता -पिता से चाहता था। धीरे - धीरे समय बीतने लगा अब वह कक्षा नौ मे डिमडिमा फातिमा विद्यालय मे दाखीला लेता है लेकिन अपने माता -पिता के रोज के झगड़े ने लड़के को अंदर से झंझोर दिया था न पढाई मे मन लगा पाता न ही कुछ कर पाता। बस हरदम हरपल चुप सा रहने लगा अपने मन की बात मन में ही दबाता चला गया।फिर कक्षा ग्यारह मे श्याम की मुलाकात एक लड़की से हुई जिसका नाम नेहा था वह लड़की उसके जीवन की पहली लड़की थी जीसके नजरो मे आने के लिए उसने अपने पढाई पर जोर दिया लेकिन तीन वर्ष उससे कुछ कह ही नहीं पाया। लेकिन उस तीन वर्षो मे एक ऐसी प्रेरणा का आगमन श्याम के जीवन में हुआ वह थी उनकी शिक्षिका अनुराधा जी जीन्होने श्याम के अंदर के काबलीयत को एक दिशा दी। और जो लड़का सहम सा गया था अपनी बात बोल नहीं पाता किसी को समझा नहीं पाता उसको लिख कर समझाने की कोशिश करने की प्रेरणा भी उनकी शिक्षिका अनुराधा जी ने दी। और तब से उसने लिखना शुरू किया। और दुसरी ओर शिक्षक श्रीमान नंदलाल जी ने भी श्याम को काफी प्रेरणादायक बातो से वाकिफ कराया और उसके मित्र शिव और विकाश उसके हर कार्य में उसके साथ रहे। लेकिन बचपन से जीस मित्र ने श्याम का साथ दिया वह था विकाश उसके जीवन की राह उसका साथी उसने श्याम को हमेशा डाटा गलत करने से रोका।और शिव हर बार श्याम को संभालता था।और श्याम के प्रिय शिक्षक श्रीमान मिनय जी ने श्याम को घर बुलाकर भी शिक्षा दी और काफी सहायक रहे। फिर बारहवी कक्षा में श्याम के साथ ऐसी घटना घटी जीसने श्याम को अंदर से तोड़ दिया वह थी उसके पिता की शराब की बुरी लत और माँ के चीड़ाने वाले स्वभाव के कारण दोनों मे तलाक की स्थिति आन पडी़।लड़के का अंतिम चरण पर परिक्षा था पर श्याम के माता -पिता को उसके भविष्य की पड़ी ही नहीं थी। लड़के को समझ ही नहीं आ रहा था कि वह चुनाव माता का करे या पिता का। अंतिम परिक्षा कल की है और आज श्याम दुसरे देश में माता- पिता के कारणा आया हुआ था । फैसला सुबह ही हो जाना था लेकिन श्याम की मा आने मे देर कर देती है और आते ही चार -पांच औरते उसके ऊपर सवार हो जाती हैं एक सहमा सा लड़का श्याम जिसका परिक्षा का अंतिम चरण चल रहा है किसी को पड़ी ही नहीं थी।
लेकिन तभी श्याम ने क्रोध मे अपनी मां को डाट दिया बेचारा लड़का उस वक्त करता भी क्या अपनी बारहवी का अतिम परिक्षा और मा -पिता की न समझी दोनों के बीच पीसा सा जा रहा था तो उसने अपने पालक दादा दादी का चुनाव किया और अपनी मां से बीछड़ने का एहसास उस वक्त उस लड़के को नहीं हुआ और अगले दिन वह परीक्षा देने पहुंचा। परिक्षा फल मे तो अपना नाम रोशन किया लेकिन अपने मां से बीछड़ने के दुःख ने उस लड़के को तोड़ कर रख दिया सायद जब उसने अपनी मां को ठुकराया था तब उसकी माँ ने उसको दिल से कोशा था होगा। यही सोचकर वह चुपचाप अपनी जिंदगी जीता है। जब भी अपनी माँ की याद आती हमेशा बंद कमरे में रोता आँखे सुजा लेता कोई पुछे तो कुछ नहीं हुआ कहता लेकिन लड़के के दिल की बात उसके दादा ने समझी और उसके मां से मिलाने चल पड़ा लेकिन सायद किस्मत उस लड़के से रुठ गई थी ।उसकी माँ ने उससे मीलने से मना कर दिया लड़का लाचारी का मारा अपनी मां की यादो मे आसुँ बहाता लौट आया फिर भी उसके मन में आज भी एहसास है कि काश मेरी माँ लौटकर आ जाए काश मेरी उस वक्त की परिस्थिति को समझ जाए काश मुझको माफ कर जाए आज भी यही सोचकर वह लड़का अपना जीवन व्यापन कर रहा है अपनी मां के यादो मे रोता है और सायद वह खुश हो बोलकर प्रथना करता है और अपने हिस्से की खुशी भी अपने माँ को दे देने की दुआ करता है ।
✍️✍️✍️s. s. bansal
राधिका माधव
29-Jul-2021 09:50 AM
इमोशनल कहानी....
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Aliya khan
29-Jul-2021 08:00 AM
Badiya kahani
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🤫
23-Jul-2021 09:44 PM
सुंदर कहानी....!
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